शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

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बालकों के अध्ययन सम्बंधी विकार

बालकों के सीखने के लिये अध्ययन एक आवश्यक प्रक्रिया हैǀ लेकिन चूंकि सभी बालकों में व्यक्तिगत भेद पाये जाते हैं अत: सभी बालकों के पढने-लिखने, समझने तथा याद करने आदि क्रियाओं का स्तर एक जैसा नहीं होता हैǀ इसका प्रमुख कारण है उनके व्यक्तिगत गुण एवं दोषǀ हम अक्सर अपने बच्चों की आवश्यकताओं और क्षमताओं को समझे बिना बस एक ही अपेक्षा रखते हैं कि वह अव्वल आयेǀ लेकिन ऐसा नहीं होना चाहियेǀ आइये जानते हैं कि वे कौनसे कारण है जो किसी बच्चे के पिछडेपन का कारण बन सकते हैं =>

1. डिस्लेक्सिया (Dyslexia) – यह एक प्रकार का मानसिक विकार है जो दृश्य संवेदनाओं के असुंतलन से सम्बंधित हैǀ इससे ग्रसित बालक अक्सर वर्तनी सम्बंधी त्रुटियां करते हैंǀ वे 'TEN' और 'NET' 'DOG' और 'GOD' आदि में अंतर करने में भी कठिनाई अनुभव करते हैंǀ अर्थात पढने से संबंधित अक्षमता को ही डिस्लेक्सिया कहा जाता हैǀ


इसके लक्षण निम्नानुसार हैं –


1. पहले/बाद में, बांये/ दांये, आदि के भेद को समझने में दिक्कत
2. वर्णमाला सीखने में कठिनाई
3. शब्दों या नामों को याद रखने में कठिनाई
4. तुकबंदी वाले शब्दों को पहचानने या बनाने, तथा शब्दों के सिलेबल्स (शब्दांश) की गिनती में दिक्कत (ध्वनि जागरूकता)
5. शब्दों की ध्वनियों को सुनने या जोड़-तोड़ करने में कठिनाई (फोनेमिक जागरूकता)
6. शब्द की विभिन्न ध्वनियों में अंतर करने में कठिनाई (श्रवण भेदभाव)
7. अक्षरों के ध्वनियों को सीखने में दिक्कत
8. शब्दों का उनके सही अर्थ के साथ संबंध बिठाने में कठिनाई
9. समय बोध और समय के कांसेप्ट को समझने में कठिनाई
10. शब्दों के संयोजन को समझने में दिक्कत
11. गलत बोलने के डर से, कुछ बच्चे अंतर्मुखी और शर्मीले बन जाते हैं और कुछ बच्चे अपने सामाजिक परिपेक्ष्य तथा वातावरण को ठीक से न समझ पाने के कारण दबंग (धौंस दिखने वाला) बन जाते हैं


2. डिस्केल्कुलिया (Dyscalculia) – इस विकार में बालक गणितीय त्रुटियां करते हैंǀ जैसे कि 9X3 को 6X3 या 9+3 अथवा 6+3 समझनाǀ इस कारण से भले ही ये बालक पहाडों और विभाजकता के नियमों को जानते हों लेकिन चिह्नों की एवं संख्याओं की त्रुटि के कारण सवाल हल करने पर त्रुटिपूर्ण उत्तर देते हैंǀ इस प्रकार गणित से सम्बंधित समस्यायें डिस्केलकुलिया के कारण उत्पन्न हो जाती हैंǀ

3. डिस्ग्राफिया (Dysgraphia) – यह डिस्लेक्सिया जैसा ही है लेकिन यह लिखने में त्रुटियों से संबंधित हैǀ डिस्ग्राफिया से ग्रस्त बालक अक्सर निम्न प्रकार की गलतियां करते हैं :
# ऐसा हस्तलेख जो पढा न जा सके
# लिखते समय तेज आवाज में बोलना
# वर्णों का आकार बनाने में कठिनाई
# पूर्व में लिखे हुये शब्दों/ पंक्तियों को याद रखने में कठिनाई
# व्याकरण तथा वर्तनी संबंधी त्रुटियां

4. डिस्प्रेक्सिया (Dyspraxia) – डिस्प्राक्सिया एक विकासात्मक विकार हैǀ इसे भद्दा / बेढंगा / अनाडी बालक सिंड्रोम (clumsy child syndrome) भी कहते हैं ǀ इसके निम्नलिखित लक्षण होते हैं –
§ सामान्य कौशलों की कमी के कारण शीघ्र ही हताश हो जाना
§ कमजोर याददाश्ती, विशेषकर लघु-आवधिक स्मृति (Short term memory) [गजनी के आमिर की तरह]
§ वाणी तथा विचारों में तारतम्यता का अभाव
मनोदैहिक गतिविधियों पर अनियंत्रण

5. डिस्फेजिया – डिस्फेजिया से ग्रस्त बालक भाषा को बोलने, सुनने तथा लिखने में समस्या प्रदर्शित करते हैंǀ


6. अग्रेफिया – यह डिस्फेजिया के जैसा ही है, लेकिन इससे ग्रस्त बालक द्वितीय भाषा के प्रति अक्षमता प्रदर्शित करते हैंǀ


7. अफेजिया – मौखिक रूप से सीखने की अक्षमता को अफेजिया कहा जाता हैǀ

8. हाइपोटोनिया – इसे फ्लोपी बेबी (Floppy Baby) सिंड्रोम भी कहा जाता हैǀ इससे ग्रस्त बच्चों के मस्तिष्क के संकेतों का अनुसरण मांसपेशियों द्वारा ठीक तरह से नहीं हो पाता हैǀ ऐसे बालक ढीले-ढाले बैठे रहते हैंǀ

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